Sunday, September 19, 2010
Wednesday, September 8, 2010
शहरयार मियाँ
भाई ! तुम्हें याद हैं शहरयार मियाँ
झकझक सफेद लूँगी-कुर्ता में
मदरसे से लौटते वक्त
बाबा से मिलने रोज आते थे
अरे वही सफदे दाढ़ी वाले शहरयार मियाँ
भाई शहरयार मियाँ
अब हमारे घर क्यों नहीं आते?
माना कि बाबा नहीं रहे
पर उन्हें यहाँ आने से किसने रोका है?
सुना है मदरसे से भी उन्हे निकाल दिया
गुजरात से उनका लड़का नहीं लौटा
तो वे इधर भी आना छोड़ दिए।
भाई ! तुम्हें याद हैं न शहरयार मियाँ
अरे वही
जिनके घर हम हमेषा ईद पर
सिवइयाँ खाने जाते थे
यह जरूर है कि अब हालात पहले जैसे नही
पर हालात तो तब भी अच्छे न थे
जब वे आते थे
भाई तुम कैसे भूल सकते हो
शहरयार मियाँ को
तुम्हे याद है, वे पिछली बार कब आए थे?
वे क्यों नहीं आते
कुछ तो बोलो
भाई ! तुमने यह ठीक कहा
वे कैसे आएं
हम भी तो नहीं जाते अब।
ब्रिजराज
भाई ! तुम्हें याद हैं शहरयार मियाँ
झकझक सफेद लूँगी-कुर्ता में
मदरसे से लौटते वक्त
बाबा से मिलने रोज आते थे
अरे वही सफदे दाढ़ी वाले शहरयार मियाँ
भाई शहरयार मियाँ
अब हमारे घर क्यों नहीं आते?
माना कि बाबा नहीं रहे
पर उन्हें यहाँ आने से किसने रोका है?
सुना है मदरसे से भी उन्हे निकाल दिया
गुजरात से उनका लड़का नहीं लौटा
तो वे इधर भी आना छोड़ दिए।
भाई ! तुम्हें याद हैं न शहरयार मियाँ
अरे वही
जिनके घर हम हमेषा ईद पर
सिवइयाँ खाने जाते थे
यह जरूर है कि अब हालात पहले जैसे नही
पर हालात तो तब भी अच्छे न थे
जब वे आते थे
भाई तुम कैसे भूल सकते हो
शहरयार मियाँ को
तुम्हे याद है, वे पिछली बार कब आए थे?
वे क्यों नहीं आते
कुछ तो बोलो
भाई ! तुमने यह ठीक कहा
वे कैसे आएं
हम भी तो नहीं जाते अब।
ब्रिजराज
इराकी बच्चे बाजार में
आज फिर लौट आया खाली हाथ बाजार से
चाहता तो यही हूँ
कि मैं भी तुम्हारे लम्बे काले बालों के लिए
बाजार से शेम्पू ले आऊँ
खुषियों की डिलेवरी करने वालों से पिज्ज़ा लेता आऊँ
बच्चे के लिए रिमोट कार
आखिर कौन नहीं चाहता ख़ुशियाँ
चाहता तो मैं भी हूँ
कि जाऊँ बाजार, ले आऊं
चेहरे की झुर्रियां मिटाने वाली क्रीम
चाहता तो मैं भी यही हूँ
कि बाल तुम्हारे रेशमी और
त्वचा विज्ञापन वाली लड़की सी दमकती रहे
पर क्या करुँ
कि इसके लिए जाना पड़ेगा बाजार
जहाँ मुझे सबसे अधिक डर लगता है
मैं सच कह रहा हूँ
भरोसा करो मेरा
मै हिम्मत जुटा कर गया था बाजार
कि ले आऊँगा तुम्हारे लिए परफ्यूम
और अपने लिए बालों का तेल
कि मुझे फिर चारों तरफ दिखायी देने लगे
इराकी़ बच्चे
हर दुकान. हर सड़क. टेलीविजन और हर होर्डिग्स में
बोतलों से झांकते इराकी बच्चे
किसी की एक आंख गायब थी
किसी का एक पैर
किसी का आधा शरीर
सड़क पर इराकी बच्चों के सिर पड़े हैं
किसी का सिर्फ एक हाथ हिल रहा था
और कह रहा था।
मुझे बचा लो
मेरे न चाहने पर भी, मेरी नजर
उस ओर चली ही जाती है
मुझे माफ करना।
Brijraj
आज फिर लौट आया खाली हाथ बाजार से
चाहता तो यही हूँ
कि मैं भी तुम्हारे लम्बे काले बालों के लिए
बाजार से शेम्पू ले आऊँ
खुषियों की डिलेवरी करने वालों से पिज्ज़ा लेता आऊँ
बच्चे के लिए रिमोट कार
आखिर कौन नहीं चाहता ख़ुशियाँ
चाहता तो मैं भी हूँ
कि जाऊँ बाजार, ले आऊं
चेहरे की झुर्रियां मिटाने वाली क्रीम
चाहता तो मैं भी यही हूँ
कि बाल तुम्हारे रेशमी और
त्वचा विज्ञापन वाली लड़की सी दमकती रहे
पर क्या करुँ
कि इसके लिए जाना पड़ेगा बाजार
जहाँ मुझे सबसे अधिक डर लगता है
मैं सच कह रहा हूँ
भरोसा करो मेरा
मै हिम्मत जुटा कर गया था बाजार
कि ले आऊँगा तुम्हारे लिए परफ्यूम
और अपने लिए बालों का तेल
कि मुझे फिर चारों तरफ दिखायी देने लगे
इराकी़ बच्चे
हर दुकान. हर सड़क. टेलीविजन और हर होर्डिग्स में
बोतलों से झांकते इराकी बच्चे
किसी की एक आंख गायब थी
किसी का एक पैर
किसी का आधा शरीर
सड़क पर इराकी बच्चों के सिर पड़े हैं
किसी का सिर्फ एक हाथ हिल रहा था
और कह रहा था।
मुझे बचा लो
मेरे न चाहने पर भी, मेरी नजर
उस ओर चली ही जाती है
मुझे माफ करना।
Brijraj
जब भी कोई कहता है
जब कोई कहता है
अहिंसा
तब लगता है
किसी ने घुसे़ड दिया है त्रिषूल
मेरे सीने में
जब कोई कहता है
शांति
तब लगता है
उसने गाली दी है
उन हजार हाथों को
जिनकी मुठ्ठी
अपना हक मांगने के लिए उठी है
जब भी कोई कहता है
धर्म
तब बू आती है उसके मुँह से
ऐसे दांतों की जिन्हें
कभी साफ नहीं किया गया
इस तरह वह जब भी कहता है
परंपरा, संस्कार, संस्कृति
तब-तब लगता है
कि मेरे एक-एक अंग को
काट-काट कर फेक रहा है
बारी-बारी
Brijraj
जब कोई कहता है
अहिंसा
तब लगता है
किसी ने घुसे़ड दिया है त्रिषूल
मेरे सीने में
जब कोई कहता है
शांति
तब लगता है
उसने गाली दी है
उन हजार हाथों को
जिनकी मुठ्ठी
अपना हक मांगने के लिए उठी है
जब भी कोई कहता है
धर्म
तब बू आती है उसके मुँह से
ऐसे दांतों की जिन्हें
कभी साफ नहीं किया गया
इस तरह वह जब भी कहता है
परंपरा, संस्कार, संस्कृति
तब-तब लगता है
कि मेरे एक-एक अंग को
काट-काट कर फेक रहा है
बारी-बारी
Brijraj
शहीद
तुम लड़ोगे
तुम लड़ाके हो
तुम लड़ते हो रोटी के लिए
तुम लड़ते हो हक के लिए
तुम्हें कोइ पदक नहीं मिलेगा
न ही कोइ प्रषस्ति पत्र
तुम्हारे मरने पर तुम्हें सलामी भी नहीं दी जाएगी
तुम्हारे मरने पर
तुम्हें स्वर्ग नहीं मिलेगा
न ही जीतने पर
भोगने के लिए धरती
तुम्हें गाजी भी नहीं कहा जाएगा
तुम्हें शहीद भी नहीं कहा ज ाएगा
अलबत्ता तुम्हारा शरीर छलनी
हो गया होगा
फिर भी तुम्हारा मुठ्ठी बंधा हाथ उठा रहेगा
Brijraj
तुम लड़ोगे
तुम लड़ाके हो
तुम लड़ते हो रोटी के लिए
तुम लड़ते हो हक के लिए
तुम्हें कोइ पदक नहीं मिलेगा
न ही कोइ प्रषस्ति पत्र
तुम्हारे मरने पर तुम्हें सलामी भी नहीं दी जाएगी
तुम्हारे मरने पर
तुम्हें स्वर्ग नहीं मिलेगा
न ही जीतने पर
भोगने के लिए धरती
तुम्हें गाजी भी नहीं कहा जाएगा
तुम्हें शहीद भी नहीं कहा ज ाएगा
अलबत्ता तुम्हारा शरीर छलनी
हो गया होगा
फिर भी तुम्हारा मुठ्ठी बंधा हाथ उठा रहेगा
Brijraj
Sunday, September 5, 2010
आजादी
अब हमारी आजादी बूढ़ी हो चली है
इसने अपने साठ साल पूरे कर लिए
यह सठिया गयी है
इसके गाल पिचक गए
और बाल पक गए हैं
कितने तो सपने पूरे करने थे इसे
पर इसने अपने हाथ खड़े कर दिये
इसकी सांस फूल रही है
इसके होने का कुछ मतलब होना था
इसको लाने का कुछ मकसद था
यह अपने इस्तेमाल होने के बारे में कुछ नहीं कर सकती
इसके जन्म से ही इसके होने का मतलब खोजते रहे
और यह बूढ़ी हो चली
अब इसे बदलना होगा
ब्रिजराज
अब हमारी आजादी बूढ़ी हो चली है
इसने अपने साठ साल पूरे कर लिए
यह सठिया गयी है
इसके गाल पिचक गए
और बाल पक गए हैं
कितने तो सपने पूरे करने थे इसे
पर इसने अपने हाथ खड़े कर दिये
इसकी सांस फूल रही है
इसके होने का कुछ मतलब होना था
इसको लाने का कुछ मकसद था
यह अपने इस्तेमाल होने के बारे में कुछ नहीं कर सकती
इसके जन्म से ही इसके होने का मतलब खोजते रहे
और यह बूढ़ी हो चली
अब इसे बदलना होगा
ब्रिजराज
Saturday, May 29, 2010
Friday, May 28, 2010
Tuesday, May 25, 2010
मैं और मेरा आलस्य
मैं इस्तीफ़ा देना चाहता हूँ
पर कोइ नौकरी नहीं करता
मैं आराम करना चाहता हूँ ,
पर कोइ काम नहीं करता
मैं कुछ करता तो नहीं ,
पर कुछ करना चाहता हूँ
ईशान शाही
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