Sunday, September 5, 2010

आजादी
अब हमारी आजादी बूढ़ी हो चली है
इसने अपने साठ साल पूरे कर लिए
यह सठिया गयी है
इसके गाल पिचक गए
और बाल पक गए हैं
कितने तो सपने पूरे करने थे इसे
पर इसने अपने हाथ खड़े कर दिये
इसकी सांस फूल रही है
इसके होने का कुछ मतलब होना था
इसको लाने का कुछ मकसद था
यह अपने इस्तेमाल होने के बारे में कुछ नहीं कर सकती


इसके जन्म से ही इसके होने का मतलब खोजते रहे
और यह बूढ़ी हो चली
अब इसे बदलना होगा

ब्रिजराज

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