Wednesday, September 8, 2010

चाँद.१

मुझे
चाँद दु:ख देता है
और चाँदनी
धंसती चली जाती है अंदर तक
उसका चेहरा
हजार चाँद के बराबर है
और प्यार चाँदनी का पूरा शवाब


Brijraj

No comments:

Post a Comment